Free Ration Distribution 2025: हाल ही में प्रदेश के डिपो संचालकों ने सरकार और खाद्य आपूर्ति विभाग को एक अल्टीमेटम दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सरकारी पीओएस (POS) मशीनों के लिए इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई, तो वे राशन वितरण का कार्य रोक देंगे। 30 अप्रैल तक का समय देकर उन्होंने स्पष्ट किया था कि 1 मई से वे अपनी इंटरनेट सेवा का उपयोग नहीं करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप पीओएस मशीनें बंद रहेंगी।
डिपो संचालकों की जायज़ परेशानी
डिपो संचालक वर्षों से अपने पैसों से इंटरनेट खर्च कर विभाग का काम चला रहे थे। लेकिन अब यह समस्या उनके लिए unbearable हो चुकी है। पीओएस मशीन में सिम कार्ड नहीं होने के कारण, संचालकों को अपने निजी डेटा का खर्च वहन करना पड़ता था। डिपो संचालकों का यह रिपोर्ट करना है कि विभाग ने न तो मशीनों की मरम्मत करवाई और न ही इंटरनेट कनेक्टिविटी का स्थायी समाधान निकाला।
सरकार पर लापरवाही का आरोप
प्रदेश डिपो संचालक समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि ने स्पष्ट किया है कि सरकार और विभाग ने उनकी समस्याओं को हल्के में लिया है। उन्होंने बताया कि उद्देश्यपूर्ण प्रयास करने के बावजूद, उनकी समस्याओं का समाधान नहीं निकला है। संचालकों का यह मानना है कि अगर इस स्थिति का समाधान नहीं होता है, तो उन्हें संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
उच्च न्यायालय की चेतावनी
यदि डिपो संचालकों पर किसी प्रकार का दबाव डाला गया, तो वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पीछे नहीं हटेंगे। अशोक कवि ने सभी डिपो संचालकों से एकजुट होकर इस लड़ाई में शामिल होने की अपील की है। यह आंदोलन उनकी आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है और जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी
डिपो संचालक समिति ने कांग्रेस सरकार पर भी वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। चुनाव से पहले सरकार ने वादा किया था कि डिपो संचालकों को ₹20,000 मासिक वेतन दिया जाएगा। लेकिन दो साल बीतने के बावजूद इस वादे पर कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे डिपो संचालकों में गहरी नाराजगी पैदा हो गई है।
आंदोलन का प्रभाव
डिपो संचालकों का यह आंदोलन न केवल उनकी आर्थिक स्थिति पर असर डालेगा, बल्कि आम जनता पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अगर पीओएस मशीनें बंद रहती हैं, तो राशन वितरण कार्य बाधित हो जाएगा। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को समय पर राशन नहीं मिल पाएगा।
समस्या का समाधान?
सरकार और विभाग को इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। अगर जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान नहीं निकाला गया, तो राशन वितरण की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो सकती है।
समिति की अपील
डिपो संचालक समिति ने प्रदेश भर के सभी डिपो धारकों से अपील की है कि वे समिति के निर्णय का समर्थन करें और अपने हकों के लिए एकजुट होकर लड़ें। यदि सभी संचालक एकमत होकर इस निर्णय का पालन करेंगे, तो सरकार को उनकी मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
निष्कर्ष
डिपो संचालकों की समस्याएं केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरी आबादी के लिए गंभीर हैं। राशन वितरण की बाधित प्रक्रिया से किसान, मजदूर और गरीब लोग सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इसलिए, समय रहते सरकार को इस स्थिति का समाधान निकालना होगा। डिपो संचालकों का आंदोलन एक अनुस्मारक है कि संघटित होकर मजबूती से अपनी आवाज उठाना कितना महत्वपूर्ण है।
उम्मीद है कि सभी डिपो संचालक इस कठिन समय में एकजुटता के साथ खड़े रहेंगे और अपनी मांगों के लिए संघर्ष करेंगे। यह उनका अधिकार है, और उन्हें इसे पाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।